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242... नाट्य मुद्राओं का एक मनोवैज्ञानिक अनुशीलन 49. लीनाल पद्म मुद्रा
यह मुद्रा अलपद्म मुद्रा के समान ही खिले हुए पद्म की सूचक है अथवा नालयुक्त पद्म की भी प्रज्ञापक हो सकती है।
यह नाटकीय मुद्रा एक हाथ से की जाती है। विधि
दायी हथेली को सामने की ओर रखते हुए अंगुलियों एवं अंगूठे को सख्ती से पृथक्-पृथक् करें, कनिष्ठिका को हथेली की तरफ मोड़ें और अनामिका हथेली से 450 कोण पर रहें। इस स्थिति में लीनाल पद्म मुद्रा बनती है।37
लीनाल पद्म मुद्रा
लाभ
चक्र- अनाहत एवं आज्ञा चक्र तत्त्व- वाय एवं आकाश तत्त्व ग्रन्थिथायमस एवं पीयूष ग्रन्थि केन्द्र- आनंद केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- हृदय, फेफड़ें, भुजाएँ, रक्तसंचार प्रणाली, स्नायु तंत्र, निचला मस्तिष्क।