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भारतीय परम्परा में प्रचलित मुद्राओं की विधि एवं उद्देश्य......239 46. कुबेर मुद्रा
कुबेर नाम के एक देवता है जो इन्द्र की नव निधियों के भंडारी और महादेवजी के मित्र समझे जाते हैं। यह सम्पूर्ण संसार के धन के स्वामी माने जाते हैं। ___यह मुद्रा धन के देवता कुबेर की सूचक है। हिन्दु और बौद्ध द्विविध परम्पराओं में इसे Secretary (सचिव) माना गया है। __ यह मुद्रा वैश्रवण से भी संबंधित है जो आठ दिशाओं के प्रधानों में से एक है। विधि
दायें हाथ को गदा मुद्रा की भाँति बनायें तथा बायीं हथेली को ऊर्ध्वमुख रखते हुए अंगुलियों
और अंगूठे को अलग-अलग कर किंचित अंदर की तरफ मोड़ने पर कुबेर मुद्रा बनती है। इसमें दोनों हाथ कंधे के स्तर पर धारण किये जाते हैं।34 लाभ
कुबेर मुद्रा चक्र- मूलाधार एवं सहस्रार चक्र तत्त्व- पृथ्वी एवं आकाश तत्त्व अन्थि- प्रजनन एवं पिनियल ग्रन्थि केन्द्र- शक्ति एवं ज्योति केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- मेरूदण्ड, गुर्दे, पाँव, ऊपरी मस्तिष्क एवं आँख।
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