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भारतीय परम्परा में प्रचलित मुद्राओं की विधि एवं उद्देश्य......229 26. कटक मुद्रा (द्वितीय)
नाटक आदि में कटक मुद्रा का एक अन्य प्रकार भी दिखाया जाता है। यह प्रकारान्तर मुद्रा भी एक हाथ से की जाती है।
विधि
बायीं हथेली सामने की ओर, तर्जनी का अग्रभाग अंगूठे से स्पर्श करता हुआ, मध्यमा हथेली के अंदर झुकी हुई तथा अनामिका और कनिष्ठिका बढ़ते हुए क्रम से किंचित मुड़ी हुई रहने पर द्वितीय प्रकार की कटक मुद्रा बनती है।26
कटक मुद्रा-2
लाभ
चक्र- स्वाधिष्ठान एवं मूलाधार चक्र तत्त्व- जल एवं पृथ्वी तत्त्व प्रन्थि- प्रजनन ग्रन्थि केन्द्र- स्वास्थ्य एवं शक्ति केन्द्र विशेष प्रभावित अंगमल-मूत्र अंग, प्रजनन अंग, मेरूदण्ड, गुर्दे, पाँव।