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228... नाट्य मुद्राओं का एक मनोवैज्ञानिक अनुशीलन 25. कटक मुद्रा (प्रथम) __यह नाट्य मुद्रा एक हाथ से की जाती है। इस मुद्रा का अभिप्राय गोपनीय एवं रहस्य पूर्ण है। विधि
दायी हथेली मध्यभाग में, तर्जनी और मध्यमा अंगूठे के अग्रभाग का स्पर्श करते हुए तथा अनामिका और कनिष्ठिका हथेली की तरफ मुड़ी हुई रहने पर कटक मुद्रा बनती है।25
कटक मुद्रा-1 लाभ
चक्र- स्वाधिष्ठान, आज्ञा एवं अनाहत चक्र तत्त्व- जल, आकाश एवं वायु तत्त्व अन्थि- प्रजनन, पीयूष एवं थायमस ग्रन्थि केन्द्र- स्वास्थ्य, दर्शन एवं आनंद केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- मल-मूत्र अंग, प्रजनन अंग, गुर्दे, निचला मस्तिष्क, स्नायु तंत्र, हृदय, फेफड़ें, भुजाएं, रक्त संचार तंत्र।