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भारतीय परम्परा में प्रचलित मुद्राओं की विधि एवं उद्देश्य......225 22. करकट मुद्रा
यहाँ करकट का अभिप्राय केकड़ा है। यह मुद्रा नाटक आदि में दोनों हाथों से धारण की जाती है।
विद्वज्ञों के अभिमत से यह समूह, प्रणय भावना, काम भावना और पेड़ की किसी शाखा के झुकने की सूचक है। यह मुद्रा ग्रथितम् मुद्रा के समान ही है। विधि ___दोनों हाथों की अंगुलियों को ग्रथितम् मुद्रा के समान अन्तर्ग्रथित करते हुए मुट्ठी बनायें। फिर कोहनियों को बाहर की तरफ निकालते हुए अन्तर्ग्रथित हाथों को घुमायें ताकि हथेलियाँ बाहर की तरफ अभिमुख हो सकें। यह करकट मुद्रा कहलाती है।22
करकट मुद्रा
लाभ
चक्र- आज्ञा एवं मणिपुर चक्र तत्त्व- आकाश एवं अग्नि तत्त्व अन्थिपीयूष, एड्रीनल एवं पैन्क्रियाज ग्रन्थि केन्द्र- दर्शन एवं तैजस केन्द्र विशेष