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224... नाट्य मुद्राओं का एक मनोवैज्ञानिक अनुशीलन प्रन्थि- प्रजनन एवं पिनियल ग्रन्थि केन्द्र- स्वास्थ्य एवं ज्योति केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- मल-मूत्र अंग, प्रजनन अंग, गुर्दे, मस्तिष्क। 21. कंदंजली मुद्रा
कन्द और अंजली इन दो शब्दों के योग से यह शब्द निष्पन्न है। कन्द के कई अर्थ हैं। यहाँ कन्द का अभिप्राय वैदिक परम्परा के ऋषियों का आहार हो सकता है। ___ विद्वानों ने इस नाटक मुद्रा को ऊँट की सूचक कहा है। विधि
दोनों हाथों को समीप लाकर हथेलियों की किनारियों को मिलायें, अंगुलियों को किंचित झुकाते हुए सामने की ओर फैलायें तथा अंगूठों को भी अंगुलियों की भाँति ही रखें। फिर अंगूठों को ऊपर-नीचे करते रहने पर कंदंजली मुद्रा बनती है।21 लाभ
कंदंजली मुद्रा चक्र- विशुद्धि एवं मूलाधार चक्र तत्त्व- वायु एवं पृथ्वी तत्त्व प्रन्थि- थायरॉइड, पेराथायरॉइड एवं प्रजनन ग्रन्थि केन्द्र- विशुद्धि एवं शक्ति केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- कान, नाग, गला, मुख, स्वर यंत्र, मेरूदण्ड, गुर्दे, पाँव।
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