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220... नाट्य मुद्राओं का एक मनोवैज्ञानिक अनुशीलन
17. चन्द्र मुद्रा
यह नाट्य मुद्रा नवग्रहों में से चन्द्रग्रह की सूचक है। चन्द्रमा रमणीय, आनंददायक, आकाश में चमकने वाला एक उपग्रह है जो विज्ञान के अनुसार महिने में एक बार धरती की प्रदक्षिणा देता है।
चंद्र अपने गुणों के लिए विशेष जाना जाता है तथा समास एवं उपमा में भी इसका प्रयोग श्रेष्ठता के लिए होता है जैसे मुखचंद्र, पूनमचंद्र आदि। ... यह संयुक्त मुद्रा दोनों हाथों से की जाती है। विधि
दायी हथेली को सामने की ओर अभिमुख करते हुए अंगुलियों एवं अंगूठे को एक साथ ऊपर उठायें तथा हथेली शिथिल और थोड़ी सी झुकी हुई रहे।
बायें हाथ को ऊपर की तरफ करते हुए अंगुलियों एवं अंगूठा पर तनाव दें, ताकि वे एक-दूसरे से पृथक रह सकें। इस कड़क मुद्रास्थिति में कनिष्ठिका हथेली से 90° कोण पर और अनामिका 45° कोण पर रहे।17
चन्द्र मुद्रा