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भारतीय परम्परा में प्रचलित मुद्राओं की विधि एवं उद्देश्य... ... 219 16. चंपक मुद्रा
अपने नाम के अनुरूप यह मुद्रा चंपक वृक्ष की सूचक है। वृक्षों में यह वृक्ष उत्तम माना जाता है। इस वृक्ष के फूलों की यह खासियत है कि उन पर भौरे नहीं बैठते ।
नाटक आदि में यह मुद्रा चंपक वृक्ष की गरिमा को दिखाने के प्रयोजन से की जाती है। एक हाथ से की
जाने वाली यह मुद्रा पद्मकोष मुद्रा के समान
हैं।
विधि
दायीं हथेली को नीचे की तरफ करते हुए अंगूठा, तर्जनी, मध्यमा और कनिष्ठिका को हल्के से घुमाएं तथा अनामिका को नीचे झुकी हुई हथेली की ओर स्वाभाविक रूप से रखने पर चंपक मुद्रा बनती है। 16
चंपक मुद्रा
लाभ
चक्र - मूलाधार एवं विशुद्धि चक्र तत्त्व- पृथ्वी एवं वायु तत्त्व ग्रन्थि - प्रजनन, थायरॉइड एवं पेराथायरॉइड ग्रन्थि केन्द्र - शक्ति एवं विशुद्धि केन्द्र विशेष प्रभावित अंग - मेरूदण्ड, गुर्दे, पाँव, नाक, कान, गला, मुँह एवं स्वर तंत्र।