________________
भारतीय परम्परा में प्रचलित मुद्राओं की विधि एवं उद्देश्य......203 और तर्जनी के अग्रभागों को जोड़कर वर्तुलाकार बनायें, फिर दोनों को एकदूसरे में चैन की तरह संयुक्त कर देने पर अधोमुष्टि मुकुल मुद्रा बनती है।
अधोमुष्टि मुकुल मुद्रा लाभ
चक्र- मणिपुर, अनाहत एवं आज्ञा चक्र तत्त्व- अग्नि, वायु एवं आकाश तत्त्व प्रन्थि- एड्रीनल, पैन्क्रियाज, थायमस एवं पीयूष ग्रन्थि केन्द्रतैजस, आनंद एवं दर्शन केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- पाचन संस्थान, यकृत, तिल्ली, नाड़ी तंत्र, आँतें, हृदय, फेफड़ें, भुजाएं, रक्त संचरण प्रणाली, मस्तिष्क एवं स्नायु तंत्र। 2. अजमुख मुद्रा ____बकरा अथवा बकरी के मुख को दर्शाने वाली मुद्रा अजमुख मुद्रा कहलाती है। प्राचीन किवदन्तियों के अनुसार एक बार किसी यज्ञ में शिव-पार्वती को आमन्त्रित किया गया, वहाँ शिव का अपमान होने पर पार्वती ने देहत्याग कर