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196... नाट्य मुद्राओं का एक मनोवैज्ञानिक अनुशीलन दर्शन केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- मल-मूत्र अंग, प्रजनन अंग, गुर्दे, मेरूदण्ड, निचला मस्तिष्क एवं स्नायु तंत्र। 12. नागबन्य मुद्रा ___ सर्यों का पारस्परिक बन्ध नागबन्ध कहलाता है। यह नाट्य मुद्रा अथर्ववेद के मन्त्रों की सूचक है तथा दो नागों के बीच के बन्धन को दर्शाती है। . विधि ___ दोनों हाथों को सर्पशीर्ष मुद्रा में बनाकर एवं उन्हें एक-दूसरे के ऊपर स्वस्तिक की तरह रखने पर नागबन्ध मुद्रा बनती है।28।
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नागबन्ध मुद्रा लाभ
चक्र- अनाहत एवं आज्ञा चक्र तत्त्व- वाय एवं आकाश तत्त्व ग्रन्थिथायमस एवं पीयूष ग्रन्थि केन्द्र- आनंद एवं दर्शन केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- हृदय, फेफड़ें, भुजाएं, रक्त संचरण तंत्र, निचला मस्तिष्क एवं स्नायु तंत्र।