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अभिनय दर्पण में वर्णित अतिरिक्त मुद्राओं के सुप्रभाव 193
लाभ
चक्र - अनाहत एवं सहस्रार चक्र तत्त्व - वायु एवं आकाश तत्त्व केन्द्रआनंद एवं ज्ञान केन्द्र ग्रन्थि - थायमस एवं पीयूष ग्रन्थि विशेष प्रभावित अंग- हृदय, फेफड़ें, रक्त संचरण तंत्र, आँखें एवं मस्तिष्क
9. मत्स्य मुद्रा
यह मुद्रा मत्स्य के समान दिखती है अतः इसे मत्स्य मुद्रा कहा जाता है। इस मुद्रा के द्वारा नाटक आदि में मछली का भाव व्यक्त करते हैं।
विधि
बायें हाथ के पृष्ठ भाग पर दायें हाथ की हथेली को स्पर्शित करते हुए रखें तथा दोनों हाथों की कनिष्ठिका और अंगूठों को फैला देने पर मत्स्य मुद्रा बनती है। 25
लाभ
मत्स्य मुद्रा
चक्र - आज्ञा, सहस्रार एवं स्वाधिष्ठान चक्र तत्त्व- आकाश एवं जल तत्त्व केन्द्र - ज्ञान, ज्योति एवं स्वास्थ्य केन्द्र ग्रन्थि - पिनियल, पीयूष एवं प्रजनन ग्रन्थि विशेष प्रभावित अंग- मस्तिष्क, आँखे, स्नायु तंत्र, मल- मूत्र अंग, गुर्दे एवं पाँव।