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192... नाट्य मुद्राओं का एक मनोवैज्ञानिक अनुशीलन 8. कीलक मुद्रा
हिन्दी शब्द सागर के अनुसार किलकने की क्रिया, हर्षवर्धन करने की क्रिया कीलक कहलाती है।
यह नाटकीय मुद्रा बच्चे की किलकारियाँ अथवा हर्ष को अभिवर्द्धित करने की क्रिया दर्शाने हेतु की जाती होगी। इस मुद्रा को दोनों हाथों से करते हैं। यह सद्भावनाओं की प्रतीक मुद्रा है। विधि
अभिनयदर्पण के मतानुसार दोनों हाथों को मृगशीर्ष मुद्रा में रचित कर एक-दूसरे के पृष्ठ भाग को परस्पर में स्पर्श करवाएं। तदनन्तर दोनों कनिष्ठिकाओं को परस्पर में बाँध देने पर कीलक मुद्रा बनती है।23
द मिरर ऑफ गेश्चर के अनुसार इस मुद्रा में तर्जनी और मध्यमा हथेली की तरफ मुड़ी हुई एवं अंगूठे के अग्रभाग से स्पर्श करती हुई, अनामिका ऊपर की तरफ, दोनों कनिष्ठिकाएँ एक-दूसरे में ग्रथित तथा दोनों हाथ कलाई पर Cross करते हुए रखते हैं।24
कीलक मुद्रा