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अभिनय दर्पण में वर्णित अतिरिक्त मुद्राओं के सुप्रभाव......191 तंत्र, मस्तिष्क, आँख, स्नायु तंत्र। 7. पाश मुद्रा
पाश का सामान्य अर्थ है फंदा । यह मुद्रा नाटकों आदि में विविध भावों को व्यक्त करने के लिए की जाती है। यह संयुक्त मुद्रा वैर या विद्वेष की सूचक मुद्रा है। विधि
सच्यास्य मुद्रा में अवस्थित दोनों हाथों की तर्जनियों को परस्पर में बाँध देने पर पाश मुद्रा बनती है।
पाश मुद्रा लाभ
चक्र- अनाहत एवं आज्ञा चक्र तत्त्व- आकाश एवं वायु तत्त्व ग्रन्थिथायमस एवं पीयूष ग्रन्थि
केन्द्र- आनंद एवं दर्शन केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- हृदय, फेफड़ें, भुजाएँ, रक्त संचार प्रणाली, निचला मस्तिष्क, स्नायु तंत्र।