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अभिनय दर्पण में वर्णित अतिरिक्त मुद्राओं के सुप्रभाव......189 5. चक्र मुद्रा
चक्र के शाब्दिक और पर्यायवाची अनेक अर्थ हैं। सामान्यतया पहिया, चक्का, तेल पिसने का कोल्हू, एक प्रकार का लोह का अस्त्र, फेरा, घुमाव, मंडलाकार घेरा आदि को चक्र कहते हैं। योग के अनुसार शरीरस्थ ऊर्जा केन्द्र चक्र कहलाते हैं। विष्णु के आयुधों के चिह्न, जिन्हें वैष्णव अपने बाहुओं एवं अंगों पर छापते हैं चक्र कहे जाते हैं। ___ यहाँ चक्र शब्द का प्रयोग इन सबसे भिन्न है। इन्साइक्लोपीडिया के अनुसार यह मुद्रा वार्तालाप की सूचक है। वार्तालाप करते वक्त हाथों की जो स्वाभाविक स्थिति होती है इस मुद्रा चित्र में उसी स्थिति का दर्शन है अत: यह चक्र मुद्रा वार्तालाप से सम्बन्धित है। विधि
दायी हथेली को नीचे की तरफ (अधोमुख) रखते हुए अंगुलियों को बाहर की ओर फैलायें तथा अंगूठे को अंगुलियों से दूर रखें।
तदनन्तर बायीं हथेली को ऊर्ध्वाभिमुख करते हुए इस प्रकार रखें कि दोनों हथेलियाँ अर्धचन्द्र मुद्रा में परस्पर स्पर्शित हो और दोनों की
चक मुद्रा अंगुलियों में 90° का कोण बन सके इस तरह चक्र मुद्रा बनती है।20