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188... नाट्य मुद्राओं का एक मनोवैज्ञानिक अनुशीलन अंग- नाक, कान, गला, मुंह, स्वरयंत्र, हृदय, फेफड़ें, भुजाएँ, रक्त संचरण तंत्र। 4. शंख मुद्रा विधि
शिखर मुद्रा में रचित दाहिने हाथ की अंगुलियों और अंगूठे को बायें हाथ के अंगूठे से दबायें। फिर बायीं तर्जनी सहित सभी अंगुलियों को दाहिनी मुट्ठी की अंगलियों के पृष्ठ भाग पर सटा देने से शंख मुद्रा बनती है।19
शंख मुद्रा
लाभ
चक्र- स्वाधिष्ठान एवं सहस्रार चक्र तत्त्व- जल एवं आकाश तत्त्व केन्द्र- स्वास्थ्य एवं ज्ञान केन्द्र ग्रन्थि- प्रजनन एवं पीयूष ग्रन्थि विशेष प्रभावित अंग- मल- मूत्र अंग, प्रजनन अंग, गुर्दे, ऊपरी मस्तिष्क एवं आँखें।