________________
अभिनय दर्पण में वर्णित अतिरिक्त मुद्राओं के सुप्रभाव......185
लाभ
चक्र - मणिपुर एवं स्वाधिष्ठान चक्र तत्त्व - अग्नि एवं जल तत्त्व प्रन्थि - एड्रीनल, पैन्क्रियाज एवं प्रजनन ग्रन्थि केन्द्र - तैजस एवं स्वास्थ्य केन्द्र विशेष प्रभावित अंग - पाचन संस्थान, नाड़ी तंत्र, यकृत, तिल्ली, आते, मल-मूत्र अंग, प्रजनन अंग, गुर्दे ।
संयुक्त हस्त मुद्राएँ अभिनय दर्पण के अन्तर्गत नाट्यशास्त्र में वर्णित संयुक्त हस्त की 10 मुद्रायें अतिरिक्त बताई गई हैं, किन्तु इसमें नाट्यशास्त्र की चार मुद्राओं का उल्लेख ही नहीं है उनके नाम इस प्रकार हैं- 1. निषध 2. गजदन्त 3. अवहित्थ
और 4. वर्धमान। इस प्रकार नाट्य शास्त्र से भिन्न कुल 14 प्रकार की संयुक्त हस्त मुद्राओं का विवरण इस प्रकार है।
1. शिवलिंग मुद्रा 2. कर्तरी स्वस्तिक मुद्रा 3. शकट मुद्रा 4. शंख मुद्रा 5. चक्र मुद्रा 6. सम्पुट मुद्रा 7. पाश मुद्रा 8. कीलक मुद्रा 9. मत्स्य मुद्रा 10. वराह मुद्रा 11. गरूड़ मुद्रा 12. नागबन्ध मुद्रा 13. खट्वा मुद्रा 14. भेरूण्ड मुद्रा। 1. शिवलिंग मुद्रा
महादेव का लिंग शिवलिंग कहलाता है। मुद्रा स्वरूप के अनुसार इसमें शिवलिंग जैसी प्रतिकृति बनती है अत: इसे शिवलिंग मुद्रा कहा गया है।
नाट्य कला में शिवलिंग का बोध
शिवलिंग मुद्रा