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180... नाट्य मुद्राओं का एक मनोवैज्ञानिक अनुशीलन को ऊपर की ओर सीधा फैला देने पर सिंहमुख मुद्रा बनती है।10
लाभ
चक्र- मणिपुर एवं स्वाधिष्ठान चक्र तत्त्व- अग्नि एवं जल तत्त्व गन्थि- एड्रीनल, पैन्क्रियाज एवं प्रजनन ग्रन्थि केन्द्र- तैजस एवं स्वास्थ्य केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- पांचन संस्थान, नाड़ी तंत्र, यकृत, आंते, मलमूत्र अंग, प्रजनन अंग, गुर्दे। 5. त्रिशूल मुद्रा
एक प्रकार का अस्त्र, जिसमें तीन धारदार नोकें होती हैं वह त्रिशूल कहलाता है। इस मुद्रा की रचना त्रिशूल के समान ही होती है। यह महादेव का अस्त्र माना जाता है। ___ यह मुद्रा नाटक आदि में नृत्यकारों द्वारा एक हाथ से धारण की जाती है। यह तीन के समूह की एवं कपित्थ वृक्ष के पत्ती की सूचक है। इसे विघ्नों के नाश एवं बाधाओं के निवारण की सूचक भी माना जा सकता है।
त्रिशूल मुद्रा