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लाभ
अभिनय दर्पण में वर्णित अतिरिक्त मुद्राओं के सुप्रभाव 179
चक्र- स्वाधिष्ठान एवं विशुद्धि चक्र तत्त्व - जल एवं वायु तत्त्व गन्थिप्रजनन, थायरॉइड एवं पेराथायरॉइड ग्रन्थि केन्द्र- स्वास्थ्य केन्द्र एवं विशुद्धि केन्द्र विशेष प्रभावित अंग - मल-मूत्र अंग, प्रजनन अंग, गुर्दे, नाक, कान, गला, मुँह, स्वर यंत्र।
4. सिंहमुख मुद्रा
इस मुद्रा के माध्यम से सिंह के मुख भाग को दर्शाया जाता है अतः इसका यथोचित नाम सिंहमुख मुद्रा है। यह मुद्रा नाटक आदि में एक हाथ से धारण की जाती है।
यह मुद्रा सिंह के मस्तिष्कीय भाग, सुगंध और मुक्ति आदि को दर्शाती है।
विधि
दायीं हथेली को आगे की तरफ करें, मध्यमा और अनामिका के अग्रभागों या प्रथम पोरों को अंगूठे के अग्रभाग से योजित करें तथा शेष दोनों अंगुलियों
सिंहमुख मुद्रा