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________________ अभिनय दर्पण में वर्णित अतिरिक्त मुद्राओं के सुप्रभाव......175 अभिनय दर्पण में कुछ मुद्राएँ भिन्न-भिन्न देवताओं के नाम से भी प्राप्त होती है ___ 1. देवहस्त मुद्रा 2. ब्रह्महस्त मुद्रा 3. ईश्वर मुद्रा 4. विष्णु मुद्रा 5. सरस्वती मुद्रा 6. पार्वती मुद्रा 7. लक्ष्मी मुद्रा 8. विनायक मुद्रा 9. षण्मुख मुद्रा 10. मन्मथ मुद्रा 11. इन्द्र मुद्रा 12. अग्नि मुद्रा 13. यम मुद्रा 14. निर्ऋतिहस्त मुद्रा 15. वरुण मुद्रा 16. वायु मुद्रा 17. कुबेरहस्त मुद्रा। दशअवतार सम्बन्धी मुद्राएँ- 1. मत्स्यावतार 2. कूर्मावतार 3. वराहावतार 4. नृसिंहावतार 5. वामनावतार 6. परशुरामावतार 7. रामचन्द्रावतार 8. बलरामावतार 9. कृष्णावतार 10. कल्कि अवतार। असंयुक्त हस्त मुद्राएँ ___ अभिनय दर्पण में नाट्यशास्त्र की अपेक्षा असंयुक्त हस्त की चार मुद्राएँ अधिक कही गई हैं, किन्तु नाट्य शास्त्र में वर्णित 'ऊर्णनाभ' का इसमें उल्लेख ही नहीं है। अतिरिक्त चार मुद्राओं के नाम ये हैं- 1. अर्धपताका 2. मयूरहस्त 3. चन्द्रकला एवं 4 सिंहमुख। इसमें पाँच प्रकार की असंयुक्त हस्त मुद्राएँ और भी बताई गई हैं जैसे- 1. त्रिशूल 2. व्याघ्रहस्त 3. अर्धसूची हस्त 4. कटक हस्त 5. पल्ली हस्त। इन्हें 28 प्रकार की परम्परागत असंयुक्त हस्त मुद्राओं में नहीं गिना गया है। अभिनय दर्पण में निर्दिष्ट अतिरिक्त हस्त मुद्राओं का स्वरूप इस प्रकार ज्ञातव्य है 41. अर्धपताका मुद्रा ___ पताका ध्वज को कहते हैं। इस मुद्रा नाम के अनुसार जिस मुद्रा में अर्धपताका का स्वरूप दिखाया जाता है उसे अर्धपताका मुद्रा कहते हैं। निम्न दर्शाया चित्र अर्धपताका को इंगित करता है। ___पताका मंगल का सूचक है। रथयात्रा आदि में शोभा बढ़ाने एवं विशेष चिह्न को दर्शाने के लिए इसका उपयोग किया जाता है। पताका के माध्यम से शोभायात्रा में जुटा वर्ग किस परम्परा का अनुयायी है उसका बोध होता है। इस नाट्य मुद्रा का प्रयोग हिन्दु और बौद्ध परम्परा में भी देवी-देवताओं के द्वारा समान रूप से किया जाता है। यह मुद्रा छुरा, चाकु एवं पताका की
SR No.006253
Book TitleNatya Mudrao Ka Manovaigyanik Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages416
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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