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164... नाट्य मुद्राओं का एक मनोवैज्ञानिक अनुशीलन संख्या है तथा नृत्तहस्त मुद्राओं में स्वस्तिक, विप्रकीर्ण, तलमुख और उत्तानवंचित नामों के स्थान पर लघुमुख एवं पार्थार्धमण्डल नाम ही हैं।
स्पष्ट बोध के लिए मुद्राओं की नाम सूची इस प्रकार है
असंयुक्त हस्त मुद्राएँ- 1. पताका हस्त मुद्रा 2. त्रिपताका मुद्रा 3. कर्तरी मुख मुद्रा 4. अर्धचन्द्र मुद्रा 5. अराल मुद्रा 6. शुकतुण्ड मुद्रा 7. मुष्टि मुद्रा 8. शिखर मुद्रा 9. कपित्थ मुद्रा 10. खटकामुख मुद्रा 11. सूच्यास्य मुद्रा 12. पद्मकोश मुद्रा 13. उरगशीर्ष (सर्पशीर्ष) मुद्रा 14. मृगशीर्ष मुद्रा 15. लांगूल मुद्रा 16. कोलपद्म (अलपद्म) मुद्रा 17. चतुर मुद्रा 18. भ्रमर मुद्रा 19. हंसास्य मुद्रा 20. हंसपक्ष मुद्रा 21. संदंश मुद्रा 22. मुकुल मुद्रा।
संयुक्त हस्त मुद्राएँ- 1. अंजलि मुद्रा 2. कपोत मुद्रा 3. कर्कट मुद्रा 4. स्वस्तिक मुद्रा 5. खटका वर्धमान मुद्रा 6. उत्संग मुद्रा 7. निषध मुद्रा 8. डोल मुद्रा 9. पुष्पपुट मुद्रा 10. मकर मुद्रा 11. गजदन्त मुद्रा 12. अवहित्थ मुद्रा 13. वर्धमान मुद्रा।
नृत्तहस्त मुद्राएँ- 1. चतुरस्र मुद्रा 2. उदवृत्त मुद्रा 3. लघुमुख मुद्रा 4. खटका मुख मुद्रा 5. अराल मुद्रा 6. आविद्ध मुद्रा 7. सूचीमुख मुद्रा 8. रेचित मुद्रा 9. अर्धरचित मुद्रा 10. अवहित्थ मुद्रा 11. पल्लव मुद्रा 12. नितम्ब मुद्रा 13. केशबन्ध मुद्रा 14. लताहस्त मुद्रा 15. करिहस्त मुद्रा 16. पक्षवंचितक मुद्रा 17. पक्षद्योतक मुद्रा 18. गरूड़ पक्ष मुद्रा 19. दण्ड पक्ष मुद्रा 20. ऊर्ध्वमण्डल मुद्रा 21. पार्श्वमण्डल मुद्रा 22. पार्वार्धमण्डल मुद्रा 23. उरोमण्डल मुद्रा 24. मुष्टि मुद्रा 25. स्वस्तिक मुद्रा 26. पद्मकोश मुद्रा 27. अलपल्लव मुद्रा 28. उल्वण मुद्रा 29. ललित मुद्रा 30. वलित मुद्रा। राजाभोज कृत समरांगणसूत्रधार में वर्णित मुद्राएँ
समरांगणसूत्रधार नामक यह कृति राजा भोज (1000 ईस्वी-1055 ) द्वारा रचित है। इसे वास्तु एवं शिल्प शास्त्र का बेजोड़ ग्रन्थ माना जाता है, यद्यपि इसमें विविध नाट्य मुद्राओं का उल्लेख है जो भरत मुनि के नाट्यशास्त्र में वर्णित मुद्राओं से प्राय: समानता रखती है।
इस ग्रन्थ के 83वें अध्याय में पताका आदि 64 हस्त मुद्राओं के लक्षण भी दिये गये हैं इस कारण सम्पूर्ण अध्याय का नाम ही “पताकादिचतुष्षष्टि