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148... नाट्य मुद्राओं का एक मनोवैज्ञानिक अनुशीलन 28. उल्वण मुद्रा
यह एक रहस्यमयी नाट्य मुद्रा है जो फूलों का गुलदस्ता अथवा नयन को दर्शाने के लिए धारण की जाती है। प्रथम विधि ____दोनों हथेलियों को ऊपर की ओर करें, अंगूठे और अंगुलियों को सख्ती से अलग-अलग कर फैलायें। फिर कनिष्ठिका को हथेली से 90° कोण पर तथा अनामिका को हथेली से 45° कोण की दूरी में रखने पर उल्वण मुद्रा बनती है। ___इस मुद्रा में दोनों हथेलियों को आँखों के सामने एवं निकट धारण किया जाता है।139
लाभ
उवण मुद्रा-1 ___ चक्र- मणिपुर एवं विशुद्धि चक्र तत्त्व- अग्नि एवं वायु तत्त्व प्रन्थिएड्रीनल, पैन्क्रियाज, थायरॉइड एवं पेराथायरॉइड ग्रन्थि केन्द्र- तैजस एवं विशुद्धि केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- पाचन संस्थान, नाड़ी संस्थान, यकृत, तिल्ली, आँतें, नाक, कान, गला, मुख, स्वर तंत्र।