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भरतमुनि रचित नाट्य शास्त्र की मुद्राओं का स्वरूप... ...147
द्वितीय विधि
नाट्य शास्त्र के अनुसार जब दोनों हाथों को पद्मकोश मुद्रा में रचकर व्यावर्तित और परावर्तित किया जाता है तब वह नलिनी पद्मकोश मुद्रा कही जाती है। 138.
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नलिनी पद्मकोश मुद्रा - 2
27. अल-पल्लव मुद्रा
अल-पल्लव शब्द का अभिप्राय है नये निकले हुए कोमल पत्तों का समूह जो सक्षमता को प्राप्त कर चुके हैं। वे अल-पल्लव कहलाते हैं। इस मुद्रा में पूर्ण विकसित एवं सक्षम पत्तों का समूह दर्शाया जाता है।
द्वितीय विधि
नाट्य शास्त्र के अनुसार जिस मुद्रा में दोनों हाथों के अग्रभागों को उद्वेष्टित किया जाता है वह अल- पल्लव मुद्रा कही जाती है। 139