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144... नाट्य मुद्राओं का एक मनोवैज्ञानिक अनुशीलन
25. मुष्टि - स्वस्तिक मुद्रा
इस मुद्रा में दोनों हाथों को मुट्ठि रूप में बनाकर कलाई के स्तर पर उन्हें Cross किया जाता है जिससे यह Cross स्वस्तिक की भाँति प्रतीत होता है अतः इसे मुष्टि स्वस्तिक मुद्रा कहा जाता है।
यह नाट्य मुद्रा विनय, भीरूपन या मुक्के की सूचक है। प्रथम विधि
दोनों हथेलियों को उदर के समभाग में आगे की ओर लायें, अंगुलियों को मुट्ठी रूप में मोड़कर अंगुठों को उन पर मोड़े हुए रखें। फिर दोनों हाथों को कलाई पर Cross करते हुए रखा जाए तब मुष्टि- स्वस्तिक मुद्रा बनती है । 135
मुष्टि- स्वस्तिक मुद्रा-1
लाभ
चक्र- • विशुद्ध, मणिपुर एवं मूलाधार चक्र तत्त्व- वायु, अग्नि एवं पृथ्वी तत्त्व ग्रन्थि - थायरॉइड, पेराथायरॉइड, एड्रीनल, पैन्क्रियाज एवं प्रजनन ग्रन्थि केन्द्र - विशुद्धि, तेजस एवं शक्ति केन्द्र विशेष प्रभावित अंग - नाक, कान,