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140... नाट्य मुद्राओं का एक मनोवैज्ञानिक अनुशीलन 21. दण्ड पक्ष मुद्रा __यह नृत्तहस्त मुद्रा संयुक्त हाथों से की जाती है। इस मुद्रा में दोनों भुजाओं को सीधा फैलाकर अंगुलियों को पंख की आकृति देते हैं उससे वह रचना दण्डपक्ष की भाँति प्रतीत होती है अत: इसे दण्ड पक्ष मुद्रा कहा गया है। द्वितीय विधि
नाट्य शास्त्र के अनुसार जिस मुद्रा में दोनों हाथों को हंस पक्ष मुद्रा में रखकर क्रमश: व्यावर्तित और परावर्तित कर दिये जाते हैं और भुजाओं को सीधा फैला दिया जाता है वह दण्ड पक्ष मुद्रा कहलाती है।131
दण्ड पक्ष मुद्रा-2 लाभ
चक्र- सहस्रार, आज्ञा एवं विशुद्धि चक्र तत्त्व- आकाश एवं वायु तत्त्व केन्द्र- ज्ञान, ज्योति एवं विशुद्धि केन्द्र ग्रन्थि- पीयूष, पिनियल, थायरॉइड एवं पेराथायरॉइड विशेष प्रभावित अंग-मस्तिष्क, आँखें, स्नायु तंत्र, नाक, कान, गला, मुँह, स्वर यंत्र आदि।