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________________ 134... नाट्य मुद्राओं का एक मनोवैज्ञानिक अनुशीलन द्वितीय विधि नाट्य शास्त्र के अनुसार जिस मुद्रा में एक हाथ लतामुद्रा में समुन्नत होकर एक पार्श्व से दूसरे पार्श्व में चलाया जाता है और दूसरा हाथ त्रिपताक मुद्रा में कर्ण के समीप होता है वह करिहस्त मुद्रा कहलाती है। 124 करिहस्त मुद्रा - 2 18. पक्षवंचित मुद्रा पक्ष शब्द के अनेक अर्थ हैं पंख, रथादि का पार्श्व, दरवाजे का पल्ला, नदी का किनारा, बगला आदि। वंचित का अर्थ तो स्पष्ट ही है। इस मुद्रा में दोनों हाथ उभय पार्श्वों में रखे जाते हैं। तदनुसार यहाँ पक्ष से अभिप्राय रथादि का पार्श्व हो सकता है । जिस प्रकार रथ के दोनों पार्श्व (पहिये) परस्पर में मिल नहीं सकते, दोनों अपने स्थान पर स्थिर रहकर ही रथ वहन में उपयोगी बनते हैं ठीक उसी प्रकार इस मुद्रा में दोनों हाथ अलग-अलग दिशा में रहते हैं।
SR No.006253
Book TitleNatya Mudrao Ka Manovaigyanik Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages416
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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