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भरतमुनि रनित नाट्य शास्त्र की मुद्राओं का स्वरूप......135 दर्शाये चित्र के अनुसार पक्ष शब्द पंख अर्थ का वाचक भी हो सकता है, क्योंकि इस मुद्रा चित्र में दोनों हाथ उड़ते हुए पंख के समान दिखते हैं।
यह नाट्य मुद्रा उदासीनता एवं जंघाभाग को हिलाने की सूचक है। प्रथम विधि
दोनों हथेलियों को कटि प्रदेश के समभाग में आगे की तरफ लायें, अनामिका को किंचित हथेली की ओर मोड़ें तथा शेष अंगुलियों को अपनी दिशा में फैलाने पर पक्षवंचित मुद्रा बनती है।125
इसमें हथेलियाँ नीचे की दिशा में रहती है।
पक्षवंचित मुद्रा-1
लाभ
चक्र- मूलाधार एवं मणिपुर चक्र तत्त्व- पृथ्वी एवं अग्नि तत्त्व प्रन्थिप्रजनन, एड्रीनल एवं पैन्क्रियाज केन्द्र- शक्ति एवं तैजस केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- मेरूदण्ड, गूर्दै, पैर, पाचन तंत्र, यकृत, तिल्ली, आँतें, नाड़ी तंत्र।