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भरतमुनि रचित नाट्य शास्त्र की मुद्राओं का स्वरूप... ...131
द्वितीय विधि
नाट्य शास्त्र के अनुसार जिस मुद्रा में दोनों हाथ केश-प्रदेश से विनिष्क्रान्त होकर पताक मुद्रा में दोनों बाहुओं पर सीधे रखे गये हों वह केशबंध मुद्रा है। 120
16. लताहस्त मुद्रा
जमीन या किसी आधार पर फैलने वाली बेल लता कहलाती है। लता किसी न किसी का आधार पाकर ही आगे बढ़ती है उसी प्रकार इस मुद्रा में दोनों हाथों की अंगुलियों के अग्रभागों को स्पर्शित कर उन्हें मिलाते हुए एक आधार बनाया जाता है, इसी कारण इस मुद्रा का नाम लताहस्त है।
यह संयुक्त मुद्रा रेखा अथवा संगठन की सूचक है। प्रथम विधि
दोनों हथेलियों को ऊपर की तरफ करते हुए अंगुलियों और अंगुठों को मध्यभाग की ओर लायें तथा अंगुलियों के अग्रभागों का परस्पर में स्पर्श करवाने
लताहस्त मुद्रा - 1