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130... नाट्य मुद्राओं का एक मनोवैज्ञानिक अनुशीलन प्रथम विधि
दोनों हथेलियों को शरीर के मध्यभाग की तरफ लायें, अंगुलियों और अंगूठों को फैलाये हुए और पीछे की ओर हल्के से झुकाये हुए रखें। तदनन्तर इस स्थिति में पाणियुग्म को मस्तक के पीछे रखने पर केशबंध मुद्रा बनती है।119
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केशबंध मुद्रा-1
लाभ
चक्र- स्वाधिष्ठान एवं अनाहत चक्र तत्त्व- जल एवं वायु तत्त्व प्रन्थिप्रजनन एवं थायमस ग्रन्थि केन्द्र- स्वास्थ्य एवं आनंद केन्द्र।