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128... नाट्य मुद्राओं का एक मनोवैज्ञानिक अनुशीलन प्रथम विधि
दोनों हथेलियों को ऊपर की तरफ करें, फिर शरीर से दूर ले जाते हुए कि स्थिति में रखें तथा अंगुलियों और अंगूठों को समभाग में फैलाये रखने पर नितम्ब मुद्रा बनती है।116
इस मुद्रा में दोनों हाथ अपनी-अपनी दिशा की ओर मुड़े हुए रहते हैं।
नितम्ब मुद्रा-1
लाभ
चक्र- मूलाधार, मणिपुर एवं अनाहत चक्र तत्त्व- पृथ्वी, अग्नि एवं वायु तत्त्व प्रन्थि- प्रजनन, एड्रीनल, पैन्क्रियाज एवं थायमस ग्रन्थि केन्द्र- शक्ति एवं तैजस केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- मेरूदण्ड, गुर्दै, पाँव, पाचन संस्थान, यकृत, तिल्ली, नाड़ी संस्थान।