________________
भरतमुनि रचित नाट्य शास्त्र की मुद्राओं का स्वरूप...
...127
नृत्य में यह मुद्रा नये विकसित पत्तों अथवा नयी दुल्हन आदि की सूचक हो सकती है जो पल्लव की भाँति कोमलांगी होती है।
द्वितीय विधि
नाट्य शास्त्र के मतानुसार जिस मुद्रा में दोनों हाथ पताक मुद्रा में रचित और मणिबन्ध से युक्त होकर स्थित हो वह पल्लव मुद्रा है । 115
Atta
पल्लव मुद्रा-2
14.
नितम्ब
मुद्रा
स्त्रियों के कटि (कमर) का अधोभाग नितम्ब कहलाता है। इस मुद्रा के माध्यम से नितम्ब की स्थिति को दर्शाया जाता है इसलिए इसका नाम नितम्ब मुद्रा है।
यह संयुक्त मुद्रा नाटक आदि में कलाकारों के द्वारा की जाती है। यह मुद्रा उल्लास, आनन्दातिरेक, अवरोहण और थकावट की सूचक है ।