________________
126... नाट्य मुद्राओं का एक मनोवैज्ञानिक अनुशीलन
कहा गया है।
यह मुद्रा नृत्तहस्त मुद्राओं के रूप में प्रयुक्त की जाती है। द्वितीय विधि
नाट्य शास्त्र के अनुसार जिस मुद्रा में कोहनियाँ और कन्धे अंचित (शिथिल) हों और दोनों हाथ त्रिपताक मुद्रा में होकर किंचित तिरछे हों वह उत्तानवंचित मुद्रा है।11
114
उत्तानवंचित मुद्रा - 2
13. पल्लव मुद्रा
टहनी में लगे हुए नवीन कोमल पत्ते जो प्रायः रक्त होते हैं उसे पल्लव कहा जाता है। हिन्दी कोश में नृत्य की एक विशेष प्रकार की स्थिति को भी पल्लव कहा है।
मुद्रा स्वरूप के अनुसार इस मुद्रा में दोनों हाथ नये खिले हुए पत्तों के समान दिखते हैं अतः इसे पल्लव मुद्रा कहा गया हैं।