________________
124... नाट्य मुद्राओं का एक मनोवैज्ञानिक अनुशीलन 11. अर्ध रेचिता मुद्रा
नृत्य में हाथों की अनेक मुद्राएँ की जाती है उनमें हस्त विन्यास की एक पद्धति "रेचिता' कहलाती है।
इस मुद्रा में दोनों हाथ अर्ध रूप में दिखते हैं इसलिए इसे अर्धरेचिता मुद्रा कहा गया है। निम्न चित्रानुसार यह मुद्रा आमंत्रण देने, उपहार देने एवं गुप्त रखने के भाव को दर्शाती है। प्रथम विधि ____ दायीं हथेली को आकाश की ओर तथा बायीं हथेली को नीचे की ओर अभिमुख करें, फिर तर्जनी, मध्यमा, अनामिका अंगुलियों को हथेली की तरफ मोड़ दें, कनिष्ठिका को ऊपर उठी हुई और आगे की तरफ तनी हुई रखें तथा अंगूठों को तर्जनी पर विश्राम करता हुआ रखने से अधरचिता मुद्रा बनती है। ___ इस मुद्रा में दोनों हाथ निकट रहते हैं। यह मुद्रा धड़ के आगे की जाती है।112
.
अर्थ रेचिता मुद्रा-1