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122... नाट्य मुद्राओं का एक मनोवैज्ञानिक अनुशीलन
मुद्रा चित्र के अनुसार यह संयुक्त मुद्रा किसी बालक के द्वारा किसी चित्रित पट को धारण करने की सूचक है।
प्रथम विधि
दोनों हथेलियों को सामने की तरफ करते हुए कुछ ऊपर उठायें। फिर तर्जनी, मध्यमा और अनामिका को किंचित हथेली की ओर झुकायें, अंगूठे को तर्जनी से सटाकर रखें तथा कनिष्ठिका को बाहर की तरफ सीधी रखने पर रेचित मुद्रा बनती है।
यह मुद्रा शरीर का स्पर्श नहीं करते हुए धड़ के निकट धारण की जाती है। 110
रेचित मुद्रा- 1