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भरतमुनि रचित नाट्य शास्त्र की मुद्राओं का स्वरूप......119 8. आविद्ध वक्र मुद्रा
आविद्ध शब्द छिदा हुआ, भेदा हुआ, फेंका हुआ, कुटिल, निराश आदि अर्थों को सूचित करता है। 106
यहाँ आविद्ध से तात्पर्य निराशा हो सकता है क्योंकि इस मुद्रा में हाथों की जो स्थिति है वह निराशाजन्य प्रतीत होती है। निराश व्यक्ति की हस्त मुद्रा इसी तरह की होती है।
किन्हीं के मतानुसार यह मुद्रा दुबलापन, लोकनृत्य, भिन्नता आदि की सूचक है। तदनुसार दुर्बल व्यक्ति प्राय: नैराश्य भावों में जीता है।
इस मुद्रा में अंगूठे सीधे रहते हुए भी किंचित टेढ़े दिखते हैं। स्पष्टतया जिस मुद्रा के द्वारा निराशापूर्ण भावों को किंच वक्रता के साथ प्रदर्शित किया जाता है उसे आविद्ध वक्र मुद्रा कहते हैं। प्रथम विधि
दोनों हथेलियों को सामने की ओर अभिमुख करें, अंगुलियों एवं अंगूठों
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आविद्ध वक्र मुद्रा-1