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110... नाट्य मुद्राओं का एक मनोवैज्ञानिक अनुशीलन
नृत्त हस्त की 30 मुद्राएँ
1. चतुरस्त्र मुद्रा
यहाँ चतुरस्र शब्द के कई अभिप्राय हो सकते हैं जैसे- नृत्य में एक प्रकार का हस्तक, एक प्रकार की ताल, चतुष्कोण, सर्वाङ्गीण आदि। मुद्रा स्वरूप के अनुसार यह मुद्रा दूध दुहने, मथने या चोली आदि बांधने की सूचक है।
यह मुद्रा दोनों हाथों से की जाती है। प्रथम विधि
दोनों हाथों को ऊपर की ओर उठायें, अंगुलियों और अंगुठों को भी ऊपर की ओर फैलायें, हथेलियों को बाहर की ओर अभिमुख करते एवं ढीला छोड़ते हुए थोड़ा-सा मोड़ें। फिर छाती के निकट धारण करने पर चतुरस्र मुद्रा बनती है।95
चतुरख मुद्रा-1