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108... नाट्य मुद्राओं का एक मनोवैज्ञानिक अनुशीलन 13. वर्धमान मुद्रा ___वर्धमान का शब्दश: अर्थ है बढ़ता हुआ, वर्धनशील। इस मुद्रा में नीचे की
ओर अभिमुख हथेलियों को ऊपर की ओर करते हैं इसलिए इस मुद्रा का वर्धमान नाम सार्थक है।
हाथों की एक विशिष्ट मुद्रा को भी वर्धमान संज्ञा दी गई है।
यह संयुक्त मुद्रा नरसिंह नामक अवतार द्वारा राक्षसों को हराने एवं उसके प्रसिद्धि की सूचक है। इसमें हाथों की गति होती है। प्रथम विधि ___ दोनों हथेलियों को नीचे की तरफ करें, फिर तर्जनी, मध्यमा एवं अनामिका अंगुलियों को हथेली की ओर मोड़ें, अंगूठों को तर्जनी के निकट उससे सटाकर रखें तथा कनिष्ठिकाओं को ऊपर की ओर फैलाने से वर्धमान मुद्रा बनती है।
इस मुद्रा में दोनों हाथ एक-दूसरे के अत्यन्त निकट रहते हैं तथा दोनों को
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वर्धमान मुद्रा-1