________________
106... नाट्य मुद्राओं का एक मनोवैज्ञानिक अनुशीलन 12. अवहित्त-अवहित्थ मुद्रा
यह नाटकीय मुद्रा भावों की अभिव्यक्ति के लिए प्रयुक्त की जाती है। हिन्दी शब्द सागर के अनुसार जिस मुद्रा के द्वारा भय, गौरव, लज्जा आदि के कारण चतुराई पूर्वक हर्षादि भावों को छुपाया जाता है उसे अवहित्थ मुद्रा कहते हैं। अवहित्थ का एक अर्थ आकार गुप्ति है। इसका तात्पर्य है कि इस मुद्रा के द्वारा अन्तर्भावों को पूर्णत: व्यक्त न करते हुए गुप्त रखा जाता है।
विद्वज्ञों के अनुसार यह संयुक्त मुद्रा शारीरिक दुर्बलता को दर्शाती है।
प्रथम विधि
दोनों हथेलियों को सामने की ओर अभिमुख करें, अंगूठा, मध्यमा और कनिष्ठिका को ऊपर की तरफ सीधा रखें तथा तर्जनी और अनामिका को हथेली के भीतर झकी हई रखने पर अवहित्थ मुद्रा बनती है।
यह मुद्रा छाती के आगे धारण की जाती है।
अववित्त मुद्रा-1