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________________ भरतमुनि रचित नाट्य शास्त्र की मुद्राओं का स्वरूप......105 लाभ ___ चक्र- मूलाधार, विशुद्धि एवं आज्ञा चक्र तत्त्व- पृथ्वी, वायु एवं अग्नि तत्त्व ग्रन्थि- प्रजनन, थायरॉइड, पेराथायरॉइड एवं पीयूष ग्रन्थि केन्द्र- शक्ति, विशुद्धि एवं दर्शन केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- मेरूदण्ड, गुर्दे, पाँव, कान, नाक, गला, मुख स्वरतंत्र, मस्तिष्क, स्नायु तंत्र। द्वितीय विधि ___ भरत मुनि के अनुसार जिस मुद्रा में दोनों हाथ कोहनी से कन्धों तक उठे हुये हों वह गजदन्त मुद्रा है।89 लाभ गजदन्त मुद्रा-2 चक्र- सहस्रार, अनाहत एवं मणिपुर चक्र तत्त्व- आकाश, वायु एवं अग्नि तत्त्व ग्रन्थि- पिनियल, थायमस, एड्रीनल एवं पैन्क्रियाज ग्रन्थि केन्द्रज्योति, आनन्द एवं तैजस केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- ऊपरी मस्तिष्क, आँख, हृदय, फेफड़ें, भुजाएँ, रक्त संचरण तंत्र, पाचन तंत्र, नाड़ी तंत्र, यकृत, तिल्ली, आँतें।
SR No.006253
Book TitleNatya Mudrao Ka Manovaigyanik Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages416
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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