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104... नाट्य मुद्राओं का एक मनोवैज्ञानिक अनुशीलन के भाव उस समय दिखलाए जाते थे जब विवाहोपरान्त कन्या को वर ले जाता था।
इसके अतिरिक्त झूलने अथवा वृक्ष आदि उखाड़ने के भाव दर्शाते समय भी इसका व्यवहार होता था।
इसे खम्भे आदि को उखाड़ने एवं किसी वस्तु को उठाने की सूचक भी कहा गया है।
यह नाट्य मुद्रा कलाकारों द्वारा दोनों हाथों से की जाती है। प्रथम विधि
दोनों हथेलियों को सामने की ओर करें, अंगूठे को तर्जनी के निचले हिस्से पर विपरीत स्थिति में रखें, तर्जनी, मध्यमा, अनामिका और कनिष्ठिका को आधी हथेली के समभाग में झुकायें तथा दोनों हाथों को कोहनी के समीप Cross करते हुए रखने पर गजदन्त मुद्रा बनती है।88
गजदन्त मुद्रा-1