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102... नाट्य मुद्राओं का एक मनोवैज्ञानिक अनुशीलन ___ यह गूढ़ रहस्यों से युक्त तथा समुद्र आदि का ऊपर से बहना और ठोसपने का सूचक है। प्रथम विधि
दोनों हथेलियों को नीचे की तरफ अभिमुख करते हुए अंगुलियों को सामने की ओर फैलायें, अंगूठों को अंगुलियों से 90° कोण पर रखें, दाहिना हाथ बायें हाथ के पीछे से Cross करता हुआ 90° कोण पर रहें तथा अंगूठों में गति करते रहने पर मकर मुद्रा बनती है।86
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मकर मुद्रा-1
लाभ
___चक्र- मणिपुर एवं अनाहत चक्र तत्त्व- अग्नि एवं वायु तत्त्व अन्थिएड्रीनल, पैन्क्रियाज एवं थायमस ग्रंथि केन्द्र- तैजस एवं आनंद केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- पाचन तंत्र, नाड़ी तंत्र, यकृत, तिल्ली, आँतें, हृदय, फेफड़े, भुजाएं, रक्त संचरण तंत्र।