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भरतमुनि रचित नाट्य शास्त्र की मुद्राओं का स्वरूप... ...101
द्वितीय विधि
नाट्य शास्त्र के अनुसार जिस मुद्रा में एक हाथ सर्पशीर्ष मुद्रा में संहत अंगुलियों सहित और दूसरा हाथ पार्श्व में अच्छी तरह संश्लिष्ट हो वह पुष्पपुट मुद्रा है 185
पुष्पपुट मुद्रा-2
लाभ
चक्र - मूलाधार, स्वाधिष्ठान एवं मणिपुर चक्र तत्त्व- पृथ्वी, जल एवं अग्नि तत्त्व ग्रन्थि- प्रजनन, एड्रीनल एवं पैन्क्रियाज केन्द्र- शक्ति, स्वास्थ्य एवं तैजस केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- मेरुदण्ड, गुर्दे, पाँव, प्रजनन अंग, मल-मूत्र अंग, पाचन तंत्र, नाड़ी तंत्र, यकृत, तिल्ली, आँतें।
10. मकर मुद्रा
मकर अर्थात मगरमच्छ। यह मुद्रा मगर नामक जलजन्तु से सम्बन्धित तथा नाटक आदि में दोनों हाथों से की जाती है ।