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100... नाट्य मुद्राओं का एक मनोवैज्ञानिक अनुशीलन
यह मुद्रा हिन्दु परंपरा में भी धारण की जाती है। इस मुद्रा को पुष्प, जल आदि अर्पित करने का सूचक माना गया है। प्रथम विधि ___ दोनों हथेलियों को ऊपर की दिशा में रखें। फिर अंगुलियों और अंगूठों को सामने की ओर फैलायें एवं किंचित झुकायें। उसके बाद दोनों हाथों को समीप लाते हुए कनिष्ठिका की बाह्य किनारियों को मिला देने पर पुष्पपुट मुद्रा बनती है।84
पुष्पपुट मुद्रा-1
लाभ
चक्र- विशुद्धि, सहस्रार एवं आज्ञा चक्र तत्त्व- वायु एवं आकाश तत्त्व अन्थि- थायरॉइड, पेराथायरॉइड, पिनियल एवं पीयूष ग्रन्थि केन्द्र- विशुद्धि, ज्योति एवं दर्शन केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- नाक, कान, गला, मुख, स्वरतंत्र, मस्तिष्क, स्नायु तंत्र, आँख।