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98... नाट्य मुद्राओं का एक मनोवैज्ञानिक अनुशीलन 8. डोल मुद्रा
यहाँ ढोल एवं डोल दोनों शब्दों का प्रयोग मिलता है। डोल अर्थात हिंडोला, झूला। संभवत: यह मुद्रा नाटकों में झलने की सूचक है।
मुद्रा स्वरूप के अनुसार इसमें दोनों हाथ प्रलम्बित रूप से हिलते रहते हैं अत: इसे डोल मुद्रा नाम दिया गया है। प्रथम विधि
दोनों कंधों को शिथिल करें, दोनों हाथों को प्रलम्बित कर हथेलियों को पार्श्व में या जंघाओं पर रखें, अंगुलियों और अंगूठों को नीचे की तरफ फैलाने तथा हिलाते रहने से डोल मुद्रा बनती है।82
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लाभ
डोल मुद्रा-1 ___ चक्र- मणिपुर एवं अनाहत चक्र तत्त्व- अग्नि एवं वायु तत्त्व प्रन्थिएडीनल, पैन्क्रियाज एवं थायमस ग्रंथि केन्द्र- तैजस एवं आनंद केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- पाचन संस्थान, यकृत, तिल्ली, आँतें, नाड़ी संस्थान, हृदय, भुजाएं, फेफड़ें, रक्त संचरण प्रणाली।