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भरतमुनि रचित नाट्य शास्त्र की मुद्राओं का स्वरूप......97 इसमें दायीं हाथ की अंगुलियाँ बायें हाथ की अंगुलियों एवं अंगूठे को आवृत्त किये रहती हैं।80 लाभ
चक्र- मूलाधार एवं स्वाधिष्ठान चक्र तत्त्व- पृथ्वी एवं जल तत्त्व ग्रन्थि- प्रजनन ग्रन्थि केन्द्र- शक्ति एवं स्वास्थ्य केन्द्र विशेष प्रभावित अंगमल-मूत्र अंग, प्रजनन अंग, मेरुदण्ड, गुर्दे, पाँव। द्वितीय विधि ___ नाट्य शास्त्र के अनुसार जिस मुद्रा में मुकुल मुद्रावत बायें हाथ को कपित्थ मुद्रा द्वारा परिवेष्टित कर दिया जाता है वह निषध मुद्रा कहलाती है।81
निषेध मुद्रा-2 लाभ
चक्र- सहस्रार चक्र तत्त्व- आकाश तत्त्व प्रन्थि- पिनियल ग्रन्थि केन्द्र- ज्योति केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- मस्तिष्क एवं आँख।