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94... नाट्य मुद्राओं का एक मनोवैज्ञानिक अनुशीलन एवं स्वास्थ्य केन्द्र, विशेष प्रभावित अंग- मस्तिष्क, स्नायु तंत्र, पाचन तंत्र, नाड़ी तंत्र, यकृत, तिल्ली, आँतें, मल-मूत्र अंग, प्रजनन अंग, गुर्दे। 6. उत्संग मुद्रा ___सामान्यतया गोद या अंक को उत्संग कहा जाता है इस मुद्रा का अभिप्राय हमें स्पष्ट नहीं है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार यह नाट्य मुद्रा नर्तक या कलाकार ठंड आदि भावों को दर्शाने के लिए धारण करते हैं। प्रथम विधि
दोनों हाथों को सामने की ओर Cross करते हुए रखें, जिससे हथेलियाँ विरुद्ध दिशाओं में रह सकें, तदनन्तर अंगूठा, तर्जनी और मध्यमा के अग्रभागों को एक-दूसरे से स्पर्श करते हुए रखें तथा अनामिका और कनिष्ठिका को ऊपर की दिशा में सीधा रखने पर उत्संग मुद्रा बनती है।78
लाभ
उत्संग मुद्रा-1 इसके प्रभाव खटका वर्धमान मुद्रा के समान जानने चाहिए।