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भरतमुनि रचित नाट्य शास्त्र की मुद्राओं का स्वरूप... ...93 करने पर खटका वर्धमान मुद्रा बनती है। लाभ
चक्र- विशुद्धि एवं आज्ञा चक्र तत्त्व- वायु एवं आकाश तत्त्व ग्रन्थिथायरॉइड, पेराथायरॉइड एवं पीयूष ग्रन्थि केन्द्र- विशुद्धि एवं दर्शन केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- नाक, कान, गला, मुँह, स्वर तंत्र, मस्तिष्क, स्नायु तंत्र। द्वितीय विधि
नाट्य शास्त्र के अनुसार जिस मुद्रा में दोनों हाथों को खटका हस्त में रचित कर एक हाथ को दूसरे खटका हस्त पर रखते हैं तब खटका वर्धमान मुद्रा बनती है।7
खटका वर्षमान मुद्रा-2
लाभ
चक्र- आज्ञा, मणिपुर एवं स्वाधिष्ठान चक्र तत्त्व- वायु, पृथ्वी एवं जल तत्त्व ग्रन्थि- पीयूष, एड्रीनल, पैन्क्रियाज एवं प्रजनन केन्द्र- दर्शन, तैजस