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________________ 90... नाट्य मुद्राओं का एक मनोवैज्ञानिक अनुशीलन लाभ चक्र- आज्ञा एवं सहस्रार चक्र तत्त्व- आकाश तत्त्व ग्रन्थि- पीयूष एवं पिनियल ग्रन्थि केन्द्र- दर्शन एवं ज्योति केन्द्र विशेष प्रभावित अंगमस्तिष्क, स्नायु तंत्र, आँखें। द्वितीय विधि नाट्य शास्त्र के अनुसार जिस मुद्रा में दोनों हथेलियाँ उत्तानित, अंगुलियाँ ऊर्ध्वाभिमुख और हाथ एक-दूसरे की कलाई पर विन्यस्त हो उसे स्वस्तिक मुद्रा कहते हैं।73 " स्वस्तिक मुद्रा-1.2 लाभ चक्र- मणिपुर एवं स्वाधिष्ठान चक्र तत्त्व- अग्नि एवं जल तत्त्व ग्रन्थि- एड्रीनल, पैन्क्रियाज एवं प्रजनन ग्रन्थि केन्द्र- तैजस एवं स्वास्थ्य केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- पाचन संस्थान, यकृत, तिल्ली, नाड़ीतंत्र, आँतें, मल-मूत्र अंग, प्रजनन अंग, गुर्दै।
SR No.006253
Book TitleNatya Mudrao Ka Manovaigyanik Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages416
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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