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________________ 80... नाट्य मुद्राओं का एक मनोवैज्ञानिक अनुशीलन लाभ चक्र मणिपुर, अनाहत एवं विशुद्धि चक्र तत्त्व - अग्नि, वायु एवं आकाश तत्त्व ग्रन्थि - एड्रीनल, पैन्क्रियाज, थायरॉइड, पेराथायरॉइड एवं थायमस केन्द्र - तैजस, आनंद, विशुद्धि केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- नाक, कान, गला, मुख, स्वर यंत्र, हृदय, फेफड़े, भुजाएं, रक्त संचरण तंत्र, पाचन संस्थान, यकृत, तिल्ली, नाड़ी तंत्र । द्वितीय विधि नाट्य शास्त्र के अनुसार जिस मुद्रा में पद्मकोश रूप में स्थित अंगुलियों को वक्र कर दिया जाये तो वह ऊर्णनाभ मुद्रा कहलाती है। 63 ऊर्णनाभ मुद्रा - 2 लाभ चक्र - अनाहत, मणिपुर एवं विशुद्धि चक्र तत्त्व- वायु, अग्नि एवं आकाश तत्त्व ग्रन्थि - थायमस, एड्रीनल, पैन्क्रियाज, थायरॉइड एवं पेराथायरॉइड केन्द्र- आनंद, तैजस एवं विशुद्धि केन्द्र विशेष प्रभावित अंग
SR No.006253
Book TitleNatya Mudrao Ka Manovaigyanik Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages416
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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