SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 140
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 74... नाट्य मुद्राओं का एक मनोवैज्ञानिक अनुशीलन लाभ चक्र- मूलाधार एवं मणिपुर चक्र तत्त्व- पृथ्वी एवं अग्नि तत्त्व अन्थिप्रजनन, एड्रीनल एवं पैन्क्रियाज केन्द्र- शक्ति एवं तैजस केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- मेरूदण्ड, गुर्दे, पाँव, पाचन संस्थान, यकृत, नाड़ी तंत्र, आँतें। द्वितीय विधि नाट्य शास्त्र के मतानुसार तर्जनी अंगूठे से सन्दष्ट (स्पर्शित) हो, शेष अंगुलियाँ ऊपर की ओर किंचित झुकी हुई हो तथा हथेली थोड़ी-सी नत हो वह सन्दंश मुद्रा है।57 सन्दंश मुद्रा-2 लाभ चक्र- मूलाधार एवं मणिपुर चक्र तत्त्व- पृथ्वी एवं अग्नि तत्त्व अन्थिप्रजनन, एड्रीनल एवं पैन्क्रियाज ग्रन्थि केन्द्र- शक्ति केन्द्र एवं तैजस केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- मेरूदण्ड, गुर्दे, पैर, पाचन संस्थान, यकृत, तिल्ली, आँतें, नाड़ी तंत्र।
SR No.006253
Book TitleNatya Mudrao Ka Manovaigyanik Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages416
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy