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72... नाट्य मुद्राओं का एक मनोवैज्ञानिक अनुशीलन
लाभ
चक्र- सहस्रार एवं आज्ञा चक्र तत्त्व- आकाश तत्त्व ग्रन्थि- पिनियल एवं पीयूष ग्रन्थि केन्द्र- ज्योति केन्द्र एवं दर्शन केन्द्र विशेष प्रभावित अंगमस्तिष्क, आँख एवं स्नायु तंत्र। 20. हंसपक्ष मुद्रा (द्वितीय)
प्रकारान्तर से हंसपक्ष मुद्रा की रचना निम्न प्रकार से होती हैप्रथम विधि
दायें हाथ की तर्जनी, मध्यमा और अनामिका को हथेली की तरफ झुकायें, अंगूठे को मुड़ी हुई अंगुलियों के बिल्कुल समीप रखें तथा कनिष्ठिका को सीधी रखने पर दूसरी प्रकार की हंसपक्ष मुद्रा बनती है।54
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हंसपक्ष मुद्रा-2 चक्र- मणिपुर एवं आज्ञा चक्र तत्त्व- अग्नि एवं आकाश तत्त्व प्रन्थिएड्रीनल, पैन्क्रियाज एवं पीयूष ग्रन्थि केन्द्र- तैजस एवं दर्शन केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- यकृत, तिल्ली, आँतें, नाड़ी तंत्र, पाचन तंत्र, स्नायु तंत्र एवं